॥ ॐ ॥
सर्व शक्तिमते परमात्मने श्री रामाय नमः॥
मेरे राम, मेरे नाथ!
आप् सर्वदयालु हो, सर्वसमर्थ हो, सर्वत्र हो, सर्वज्ञ हो। आपको कोटिश नमस्कार ।
आपने साधना के लिये मानव शरीर दिया है और प्रति क्षण दया करते रहते हैं। आपके अनन्त उपकारों का ऋण नहीं चुका सकता। पूजा से आपको रिझाने का प्रयास करना चाहता हूँ।
अपनी कृपा से मेरे विश्वास दृढ़ कीजिये कि 'राम मेरा सर्वस्व है'। 'मैं राम का हूँ'। 'सब मेरे राम का है'। 'सब मेरे राम के हैं'। 'सब राम के मंगलमय विधान से होता है और उसी में मेरा कल्याण निहित है'।
अपनी अखण्ड स्मृति दीजिये। राम नाम का जप करता रहूँ। रोम रोम में राम बसा है। हर स्थान पर हर समय राम को समीप देखूँ।
अपनी चरण शरण में अविचल श्रद्धा दीजिये। मेरे समस्त संकल्प राम इच्छा में विलीन हों। राम कृपा में अनन्य भरोसा रख कर सदैव सन्तुष्ट और निश्चिन्त रहूँ, शान्त रहूँ, मस्त रहूँ।
ऐसी बुद्धि और शक्ति दीजिये कि वर्तमान परिस्थिति का सदुपयोग करके, पूरा समय और पूरी योग्यता लगा कर अपना कर्तव्य लगन उत्साह् और प्रसन्न चित्त से करता रहूँ। मेरे द्वारा को ऐसा कर्म न होने पाये जिसमें मेरे विवेक का विरोध हो।
सत्य, निर्मलता, सरलता, प्रसन्नता, विनम्रता, मधुरता मेरा स्वभाव हो।
दुखी को देख कर सहज करुणित और सुखी को देख कर सहज प्रसन्न हो जाऊँ । मेरे जीवन में जो सुख का अंश है वह दूसरों के काम आये और जो दुख का अंश है वह मुझे त्याग सिखाये।
मेरी प्रार्थना है कि आपका अभय हस्त सदा मेरे मस्तक पर रहे। आपकी कृपा सदा सब पर बनी रहे। सब प्राणियों में सद्भावना बढ़ती रहे। विश्व का कल्याण हो।
ॐ शान्ति शान्ति शान्तिः।
सर्व शक्तिमते परमात्मने श्री रामाय नमः॥
मेरे राम, मेरे नाथ!
आप् सर्वदयालु हो, सर्वसमर्थ हो, सर्वत्र हो, सर्वज्ञ हो। आपको कोटिश नमस्कार ।
आपने साधना के लिये मानव शरीर दिया है और प्रति क्षण दया करते रहते हैं। आपके अनन्त उपकारों का ऋण नहीं चुका सकता। पूजा से आपको रिझाने का प्रयास करना चाहता हूँ।
अपनी कृपा से मेरे विश्वास दृढ़ कीजिये कि 'राम मेरा सर्वस्व है'। 'मैं राम का हूँ'। 'सब मेरे राम का है'। 'सब मेरे राम के हैं'। 'सब राम के मंगलमय विधान से होता है और उसी में मेरा कल्याण निहित है'।
अपनी अखण्ड स्मृति दीजिये। राम नाम का जप करता रहूँ। रोम रोम में राम बसा है। हर स्थान पर हर समय राम को समीप देखूँ।
अपनी चरण शरण में अविचल श्रद्धा दीजिये। मेरे समस्त संकल्प राम इच्छा में विलीन हों। राम कृपा में अनन्य भरोसा रख कर सदैव सन्तुष्ट और निश्चिन्त रहूँ, शान्त रहूँ, मस्त रहूँ।
ऐसी बुद्धि और शक्ति दीजिये कि वर्तमान परिस्थिति का सदुपयोग करके, पूरा समय और पूरी योग्यता लगा कर अपना कर्तव्य लगन उत्साह् और प्रसन्न चित्त से करता रहूँ। मेरे द्वारा को ऐसा कर्म न होने पाये जिसमें मेरे विवेक का विरोध हो।
सत्य, निर्मलता, सरलता, प्रसन्नता, विनम्रता, मधुरता मेरा स्वभाव हो।
दुखी को देख कर सहज करुणित और सुखी को देख कर सहज प्रसन्न हो जाऊँ । मेरे जीवन में जो सुख का अंश है वह दूसरों के काम आये और जो दुख का अंश है वह मुझे त्याग सिखाये।
मेरी प्रार्थना है कि आपका अभय हस्त सदा मेरे मस्तक पर रहे। आपकी कृपा सदा सब पर बनी रहे। सब प्राणियों में सद्भावना बढ़ती रहे। विश्व का कल्याण हो।
ॐ शान्ति शान्ति शान्तिः।
2 comments:
This prayer serves like a tranquiliser and leads to Path of complete surrender to Him.
Vipin Srivastava
Very interesting and helpful in prayer
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